Deepavali nibandh Class 8
‘दीपावली’ का अर्थ होता है-‘दीपों की अवली या पक्ति।’ यह पर्व कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। लोग इस अमावस्या की काली रात को दीपक जलाकर, पूर्णिमा की रात में बदल देते हैं। इस दिन श्री राम रावण का वध करके चौदह वर्षो के बाद अयोध्या लौटे थे।
अयोध्यावासियों ने उनके आगमन की खुशी में अपने घरों पर दीपकों का प्रकाश किया था जैन धर्म के प्रवर्तक महावीर स्वामी तथा आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद ने इस दिन ही निर्वाण प्राप्त किया था। इसी दिन सिखों के छठे गुरु हरगोविंद भी बंधनमुक्त हुए थे।
दीपावली के दो दिन पूर्व धन तेरस’ मनाई जाती है। इस दिन लोग नए बरतन खरीदना शुभ मानते हैं। दूसरे दिन छोटी दीपावली मनाई जाती है। इसी दिन श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। तीसरे दिन दीपावली मनाई जाती है , रात्रि में घरों पर रोशनी की जाती है और लक्ष्मी पूजन होता है। चौथे दिन गोवर्धन पूजा होती है। इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर इंद्र के प्रकोप से ब्रजवासियों कि रक्षा की थी।
पाँचवें दिन ‘भैया दूज’ का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाती हैं। दीपावली का त्योहार वर्षा ऋतु के बाद आता है। इस अवसर पर लोग अपने घरों की सफ़ाई-पुताई आदि करते हैं, जिससे कीटाणुओं का नाश होता है।
दीपावली की रात्रि की शोभा देखते ही बनती है। बाजारों में खूब चहल–पहल होती है। चारों ओर मोमबत्तियों, दीपकों और बिजली के बल्बो का प्रकाश जगमग–जगमग करता है। बच्चे आतिशबाजी करते हैं और लोग अपने मित्रों और सगे-संबंधियों के घर मिठाई, उपहार आदि भेजते हैं रात्रि में लक्ष्मीपूजन किया जाता है।
दीपावली के शुभ पर्व पर कुछ लोग जुआ खेलकर अपनी किस्मत आजमाते हैं। यह एक सामाजिक बुराई है, इसका अंत होना चाहिए। कई स्थानों पर पटाखों से आग लग जाती है इसके लिए भी सावधानी बरतनी चाहिए।
दीपावली का त्योहार हमें स्वच्छता, सपन्नता और उल्लास का संदेश देता है। अत: हमारा कर्तव्य है, कि हम इसे उचित ढंग से मनाएँ और जिन महापुरुषों की याद में यह पर्व मनाया जाता है, उनके आदशों पर चलकर अपने जीवन को सार्थक बनाएं।
प्रकाश पर्व दीपावली
हमारा देश बहुत विशाल और बहरी है। यहाँ अनेक सामाजिक त्योहार और उत्सव मनाए जाते हैं, जिन्हें लोग अपनी-अपनी आस्था के अनुसार हर्ष और उमंग से मनाते हैं। दीपावली हिंदुओं का त्योहार है, जो देश के एक बहुत बड़े भाग में तो पूरे उल्लास के साथ मनाया ही जाता है, विदेशों में धूम–धाम से मनाया जाता है।
दीपावली प्रकाश का पर्व है। दीपावली का शाब्दिक अर्थ है- दीपों की पंक्ति। दीपावली का त्योहार शरद ऋतु के प्रारंभ में कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। इस त्योहार के साथ कई कहानियाँ जुड़ी हुई है जिनमे भगवान राम की कहानी सबसे प्रसिद्ध है।
कहा जाता है कि लंका के राजा रावण को मारकर भगवान राम इसी दिन अयोध्या लौटे थे। अयोध्या के लोगों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। जैन धर्म के तीर्थंकर महावीर स्वामी और आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद को भी इसी दिन निर्वाण प्राप्त हुआ। इनके अनुयायी भी इस त्योहार को आस्था और निष्ठा के साथ मनाते हैं।
दीपावली के त्योहार को लोग बड़े उत्साह से मनाते हैं। कई दिन पहले से ही बाजार सज जाते हैं और लोग अपनी-अपनी आवश्यकता के अनुसार खरीदारी करना शुरू कर देते हैं। इस दिन घरों में स्वादिष्ट पकवान बनाए जाते हैं।
लोग बाजार से उपहार खरीद कर लाते हैं और अपने जान-पहचान वालों को सप्रेम भेंट करते हैं। रात में घरों में रंग-बिरंगी रोशनी की जाती है। लोग असंख्य दीप और झालरें जलाकर अमावस्या की अंधेरी रात को जगमग कर देते हैं। बच्चे अपने परिवार वालों की निगरानी में अनार, पटाखे और फुलझाड़याँ चलाते हैं।
परिवार के सब लोग मिलकर धन की देवी महालक्ष्मी की श्रद्धा के साथ पूजा करते हैं। दीपावली का त्योहार हमें अंधकार को दूर भगाने का संदेश देता है, लेकिन अंधकार केवल अपने जीवन से ही नहीं, बल्कि सबके जीवन से दूर होना चाहिए।
दीपावली के पावन अवसर पर कवि गोपालदास नीरज ने हमें संदेश देते हुए कहा है :-
जलाओ दिये, पर रहे ध्यान इतना, अंधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।
हम इसी भावना के साथ इस उल्लासपूर्ण त्योहार को मनाएँ और अपने मन के अंधेरे को दूर करें। यह त्योहार हमें ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ का संदेश देता है।