NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 7 क्या निराश हुआ जाए प्रश्न और उत्तर

NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 7 Kya nirash hua jaye Questions and Answers

प्र०१. लेखक ने स्वीकार किया है कि लोगों ने उन्हें भी धोखा दिया है फिर भी वह निराश नहीं है। आपके विचार से इस बात का क्या कारण हो सकता है?

उत्तर– लेखक का मानना है कि आज भी पूरे भारत में सेवा, ईमानदारी, सच्चाई और आध्यात्मिकता के मूल्य बने हुए हैं। वे दब अवश्य गए हैं, तो यहां पर और एक में परंतु नष्ट नहीं हुए हैं। आज भी सामान्य व्यक्ति भारतीय महिलाओं का सम्मान करता है, झूठ बोलना और चोरी करना पाप समझता है, सेवा करना अपना धर्म समझता है। 

क्योंकि लेखक के साथ भी घटना घटी थी जब रेलवे स्टेशन पर लेखक के साथ घटित घटना और बस खराब होने की घटना इसी बात का प्रमाण है। रेलवे स्टेशन पर टिकट बाबू द्वारा लेखक को ढूंढ कर 90 रुपए वापस करना तथा बस कंडक्टर द्वारा लेखक के बच्चों के लिए दूध और पानी लाना इसी इसी बात के प्रमाण हैं कि आज भी सेवा– भावना और इमानदारी के तत्व समाज में विद्यमान हैं। इसलिए लेखक ने स्वीकार किया है कि लोगों ने उन्हें भी धोखा दिया है, फिर भी वह निराश नहीं है। अतः धोखा दिए जाने पर भी लेखक निराश नहीं है।

प्र०२. दोषों का पर्दाफाश करना कब बुरा रूप ले सकता है?

उत्तर–  ‘दोषों का पर्दाफाश’ करना तब बुरा रूप ले सकता है जब वह समाज, संस्कृति एवं सभ्यता के विरुद्ध है। वैसे तो किसी भी अवगुण या दोष को उजागर करना गलत कार्य नहीं है, लेकिन समाज में उसके उजागर होने पर लोगों पर उसका क्या प्रभाव पड़ेगा यह बात महत्वपूर्ण हो जाती है। अश्लीलता एवं नग्नता जैसे दोषों को उजागर करने पर कुछ लोग इसमें लिप्त भी होना चाहेंगे, जो समाज के हित में नहीं है। अतः उक्त विषयों में दोषों का पर्दाफाश करना बुरा रूप ले लेता है।

प्र०३. आजकल के बहुत से समाचार पत्र या समाचार चैनल ‘दोषों का पर्दाफाश’ कर रहे हैं। इस प्रकार के समाचारों और कार्यक्रमों की सार्थकता पर तर्क सहित विचार लिखिए?

उत्तर– हां यह बात सही है कि आजकल के बहुत से समाचार पत्र या समाचार चैनल दोषों का पर्दाफाश कर रहे हैं। समाचार– पत्रों और समाचार चैनलों के द्वारा दोषों का पर्दाफाश करने का मुख्य कारण समाज को जागृत करना है। जब व्यक्ति विशेष जागृत हो जाएगा, तो वह गुण– दोष की परिभाषा को स्वयं जान और समझ सकेगा। सभी समाचार– पत्र लोगों को एकजुट करने का काम करते हैं। वे भाईचारे और बंधुत्व की भावना का विकास करते हैं। नित्य नए-नए दोषों एवं अप्रिय घटनाओं को छापकर हमें सचेत करने का काम करते हैं।

‘समाचार चैनल’ भी इसी प्रकार ‘सीडी’ प्रकरण दिखाकर भी रिश्वतखोरी और दोषियों को सबके सामने उजागर कर लोगों को चेताते है कि बुरा काम नहीं करना चाहिए। इससे समाज गति नहीं कर सकता। अपने इन कार्यों द्वारा वह समाज को नवीन पथ देना चाहते हैं। वे लोगों को अपने गुणों की पहचान कर जीवन में आगे बढ़ने को कहते हैं।

निम्नलिखित के संभावित परिणाम क्या-क्या हो सकते हैं? आपस में चर्चा कीजिए, जैसे– “ईमानदारी को मूर्खता का पर्याय समझा जाने लगा है।” परिणाम– भ्रष्टाचार बढ़ेगा।

प्र०१. “सच्चाई केवल भीरू और बेबस लोगों के हिस्से पड़ी है।” ………

उत्तर– लेखक कहता है कि आज इस छल– कपट की दुनिया में ईमानदारी का कोई स्थान नहीं रह गया है। ईमानदार व्यक्ति को मूर्ख समझा जाने लगा है। जो व्यक्ति बेईमान है उन्हें ईमानदार समझा जाने लगा है। छल– कपाट करने वाले समझते हैं कि वही व्यक्ति सच्चाई का पल्ला पकड़ कर बैठे हैं जो डरपोक और आश्रयहीन है तथा जिनकी ऊंची पहुंच नहीं है। परिणाम यह होगा कि कमजोर व्यक्ति की समाज में स्थिति अधिक खराब हो जाएगी।

प्र०२. “झूठ और फरेब का रोजगार करनेवाले फल– फूल रहे हैं।” ………

उत्तर– यह सत्य है कि झूठ और फरेब का रोजगार करने वाले फल– फूल रहे हैं। इसका परिणाम यह निकल रहा है कि झूठे, धोखेबाज एवं मूर्ख मनुष्य जीवन में गति कर रहे हैं। वह सुख ऐश्वर्य प्राप्त कर आनंदित हो रहे हैं, जबकि ईमानदारी से मेहनत करके जीविका चलाने वाले भोले– भाले श्रमजीवी पिस रहे हैं।

 उनका जीवन अंधकार की ओर खोने लगा है। उनकी ईमानदारी बेईमानों की दुनिया में उनके लिए गले की फांस बन गई है। अब ईमानदारी को मूर्खता का पर्याय समझा जाने लगा है। सच्चाई तो अब केवल भीरू और असहाय लोगों के पास ही पड़ी हुई है। ऐसी स्थिति में जीवन के महान मूल्यों के बारे में लोगों की आस्था हिलने लगी है। इसका परिणाम यह होगा कि आपसी विश्वास कम होने लगेगा। किसी को भी किसी पर भरोसा नहीं होगा, फिर चाहे वह अपना हो या पराया।

प्र०३. “हर आदमी दोषी अधिक दिख रहा है, गुणी कम।”………

उत्तर– आज के समय प्रत्येक आदमी एक– दूसरे पर आरोप लगा रहा है। व्यक्ति के गुणों को भुला दिया गया है और दोषों को बढ़ा– चढ़ाकर दिखाया जाता है। इसी कारण आज हर आदमी में गुण कम और दोष अधिक दिखाई देते हैं।

इसका जीता– जागता उदाहरण बस ड्राइवर और कंडक्टर के रूप में हमें देखने को मिलता है। मनुष्य अपनी मानसिकता का विपरीत लाभ लेते हुए गुणों की अपेक्षा कर दोषों को अधिक देखने लगता है। इसी कारण आज मानव दोषी अधिक और  गुणी कम दिखाई पड़ता है। इसका परिणाम यह होगा कि व्यक्ति को अन्य सभी बुराइयों से भरे हुए दिखाई देंगे। अविश्वास का भाव निरंतर बढ़ता जाएगा।

प्र०४. लेखक ने लेख का शीर्षक ‘क्या निराश हुआ जाए’ क्यों रखा होगा? क्या आप इससे भी बेहतर शीर्षक सुझा सकते हैं?

उत्तर– ‘क्या निराश हुआ जाए’ पाठ शीर्षक की सार्थकता से हम पूर्ण रुप से सहमत हैं। आज के युग में समाचार– पत्रों में भ्रष्टाचार, बेईमानी आदि के समाचारों को पढ़कर हमें निराश नहीं होना चाहिए। लोभ– मोह आदि को प्रधान शक्ति मान लेना तथा मन और बुद्धि को इनके सहारे छोड़ देना उचित नहीं है। भ्रष्टाचार के प्रति आक्रोश यह सिद्ध करता है कि पापाचरण लोगों को अखरता है।

समाज में अभी भी सच्चाई और इमानदारी है तथा मनुष्यता समाप्त नहीं हुई है। रेल टिकट बाबू और कंडक्टर जैसे लोग समाज में अभी भी विद्यमान है। मनुष्य की बनाई गई नीतियों को बदलकर महान भारत को पुनः पाया जा सकता है। आशा की ज्योति बुझी नहीं है, अतः निराश होने की आवश्यकता नहीं है।

वैसे इसके अनेक शीर्षक हो सकते हैं– 

१. मनुआ मत हो निराश

२. नहीं आवश्यकता निराशा की।

प्र०५. यदि ‘क्या निराश हुआ जाए’ के बाद कोई विराम चिन्ह लगाने के लिए कहा जाए तो आप दिए गए चिन्हों में से कौन– सा चिन्ह लगाएंगे? अपने चुनाव का कारण भी बताइए। – , । .  !  ? ; – …।

उत्तर– यदि ‘क्या निराश हुआ जाए’  के पीछे विराम चिन्ह लगाने के लिए कहा जाए तो मैं ‘ ? ’ का चिन्ह लगाऊंगी। इसका मुख्य कारण यह है कि ‘क्या निराश हुआ जाए’ में एक प्रश्न उठता है कि जीवन में सहसा ऐसा क्यों हो गया है कि जीवन में निराश होना पड़े। यह भी कह सकते हैं कि ऐसा वातावरण बन गया हो और कोई पूछ रहा हो कि इस समय हमें निराश होना चाहिए। अतः मैं ? (प्रश्नवाचक) विराम चिन्ह का यहां पर उपयुक्त लगाऊंगी।

प्र०६. “आदर्शों की बातें करना तो बहुत आसान है पर उन पर चलना बहुत कठिन है।” क्या आप इस बात से सहमत है? तर्क सहित उत्तर दीजिए।

उत्तर–  मानव का मन हर समय आदर्शों द्वारा चालित नहीं होता। भारतीय जीवन– यापन पद्धति में लोभ न करने वाले तथा मोह से दूर रहने को महत्व दिया जाता रहा है और लोग सिद्धांत रूप से इन्हें मानते हैं और इन्हें आचरण में लाने का प्रयत्न भी करते हैं। कभी-कभी देश की स्थिति सुधारने के लिए वाणिज्य, कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति और अधिक बढ़िया बनाने के लिए जिन लोगों को नियुक्त किया जाता है, वे मन की  अपवित्रता के कारण, लक्ष्य को भूल कर अपनी सुख– सुविधा की ओर ध्यान देने लगते हैं। ऐसा इसलिए होता है कि व्यक्ति का मन सदैव आदर्शों के द्वारा चालित नहीं होता।

प्र०७. दो शब्दों के मिलने से समास बनता है। समास का एक प्रकार है– द्वंद समास। इसमें दोनों शब्द प्रधान होते हैं। जब दोनों भाग प्रधान होंगे तो एक– दूसरे में द्वंद (स्पर्धा, होड़) की संभावना होती है। कोई किसी से पीछे रहना नहीं चाहता, जैसे– चरम और परम = चरम–परम, भीरू और बेबस = भीरू– बेबस। दिन और रात = दिन– रात।

‘और’ के साथ आए शब्दों के जोड़े  को ‘और’ हटाकर (–) योजक भी लगाया जाता है। कभी-कभी एक साथ भी लिखा जाता है। द्वंद समास के 12 उदाहरण ढूंढकर लिखिए।

उत्तर–१.   रुपया– पैसा= रुपया और पैसा

  २. अपना–पराया = अपना और पराया

३. हानि– लाभ= हानि और लाभ

४. नर–नारी = नर और नारी

५. मां–बाप = मां और बाप

६. दाल– रोटी = दाल और रोटी

७. लोटा– डोरी = लोटा और डोरी

८. घी– शक्कर = घी और शक्कर

९. लव– कुश = लव और कुश

१०. गंगा– यमुना = गंगा और यमुना

११. अन्न– जल = एंड और जल

१२. सुख– दुख = सुख और दुख

प्र०८. पाठ से तीनों प्रकार की संज्ञायों के उदाहरण खोजकर लिखिए।

उत्तर– व्यक्तिवाचक संज्ञा:– तिलक, रविंद्रनाथ ठाकुर, भारतवर्ष, मदनमोहन मालवीय, धर्मवीर।

जातिवाचक संज्ञा:– यात्री, नौजवान, समाचार– पत्र, महिला, बस, मनुष्य।

भाववाचक संज्ञा:– प्रेम, मनुष्यता, सच्चाई, अच्छाई, ईमानदारी, मूर्खता, यूरोपिय, डकैती, आध्यात्मिकता, विनम्रता।

यह पाठ से तीनों प्रकार की संज्ञाओं के उदाहरण है। जो बहुत ही अच्छे और सरल है।

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