NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 15 Aashram ka anumanit vyay Questions and Answers
पाठ 19 :- आश्रम का अनुमानित व्यय
— मोहनदास करमचंद गांधी
अभ्यास
लेख से—
प्रश्न 1. हमारे यहाॅं बहुत से काम लोग खुद नहीं करके किसी पेशेवर कारीगर से करवाते हैं। गांधी जी छेनी, हथौड़े, बसूले क्यों खरीदना चाहते होंगे?
उत्तर – यह तो सत्य है कि हमारे यहाॅं यानी कि भारत में बहुत से काम है जो लोग खुद नहीं करके किसी पेशेवर कारीगर से करवाते हैं। गांधी जी छेनी, हथौड़े, बसूले इसलिए खरीदना चाहते होंगे ताकि वह आश्रम में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को आत्मनिर्भर बना सके और वह चाहते होंगे कि उनके आश्रम में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति अपने छोटे-छोटे कामों के लिए दूसरों का मुॅंह न ताके, वह अपना काम खुद ही कर सके।
प्रश्न 2. गांधी जी ने अखिल भारतीय कांग्रेस सहित कई संस्थाओं व आंदोलनों का नेतृत्व किया। उनकी जीवनी या उन पर लिखी गई किताबों से उन अंशों को चुनिए जिनसे हिसाब-किताब के प्रति गांधी जी की चुस्ती का पता चलता है।
उत्तर – गांधी जी शुरू से ही हिसाब किताब में चुस्ती रखा करते थे। वह अपने विद्यार्थी जीवन से ही पैसों का मूल जानते थे और एक भी पैसा फिजूलखर्ची नहीं किया करते थे इसलिए वह कई बार पैदल ही यात्रा किया करते थे। वह मानते थे कि पैसों का इस्तेमाल जरूरी चीजों के लिए ही किया जाए तो ही बढ़िया है। इसलिए वह हमेशा अपने हिसाब किताब के अनुसार ही पैसा खर्च किया करते थे। इसी विशेषता के कारण उन्होंने अपने जीवन काल में कई संस्थाओं व आंदोलनों का नेतृत्व किया है और उसे सफल बनाया।
गांधी जी सभी कार्य अपने हिसाब किताब के अनुसार करते थे और उनके नकारात्मक और सकारात्मक चीजों के बारे में पहले ही सोच लिया करते थे। इसे हम निम्न उदाहरणों के द्वारा स्पष्टता दे सकते हैं–
1. जब दांडी यात्रा के लिए गांधीजी ‘रास’ पहुॅंचे थे तो वहाॅं पर निषेधाज्ञा लागू थी, यानी कि कोई भी नेता अपने विचार भाषण के द्वारा लोगों तक नहीं पहुॅंचा सकता। गांधीजी तो लोगों को संबोधित किए बिना रह नहीं सकते थे, इसलिए उन्होंने पहले ही योजना बना ली थी कि यदि उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया तो उनकी जगह ‘अब्बास तैयबजी’ इस यात्रा का नेतृत्व करेंगे।
2. वह बिल्कुल भी फिजूल खर्चा नहीं करते थे, एक-एक पैसा सोच समझकर खर्चा किया करते थे। तभी उन्होंने साबरमती आश्रम में भी अपना एसा हिसाब किताब लगाया जिसमें की उन्होंने एसा बजट बनाया कि आने वाले मेहमानों के खर्च भी उसमें शामिल किए गए।
प्रश्न 3. मान लीजिए, आपको कोई बाल आश्रम खोलना है। इस बजट से प्रेरणा लेते हुए उसका अनुमानित बजट बनाइए। इस बजट में दिए गए किन-किन मदों पर आप कितना खर्च करना चाहेंगे। किन नयी मदों को जोड़ना-हटाना चाहेंगे?
उत्तर – यदि हमें कोई बाल आश्रम खोलना होगा तो हमें कम से कम 100000 वर्ग फुट जमीन की आवश्यकता पड़ेगी। पूरे बाल आश्रम को बनाने हेतु हमें कम से कम 50 से 60 लाख रुपए की आवश्यकता पड़ेगी। हमारा अनुमानित बजट कुछ इस प्रकार
होगा :-
1. | 1 एकड़ जमीन | 15 लाख |
2. | 200 कमरें | 8 लाख |
3. | खेल का मैदान | 5 लाख |
4. | पानी पीने के नल | 2 लाख |
5. | बाथरूम और टॉयलेट | 5 लाख |
6. | शिक्षक नियुक्ति तथा उनके वेतन | 3 लाख |
7. | स्टाफ रूम और मेडिकल रूम | 1 लाख |
8. | आश्रम की सजावट। | 2 लाख |
9. | रसोईघर और अनाज | 8 लाख |
10. | मेंटेनेंस और रिपेयर। | 5 लाख रुपए रखे जाएंगे |
प्रश्न 4. आपको कई बार लगता होगा कि आप कई छोटे-मोटे काम (जैसे- घर की पुताई, दूध दुहना, खाट बुनना) करना चाहें तो कर सकते हैं। ऐसे कामों की सूची बनाइए, जिन्हें आप चाहकर भी नहीं सीख पाते। इसके क्या कारण रहे होंगे उन कामों की सूची भी बनाइए, जिन्हें आप सीख कर ही छोड़ेंगे।
उत्तर – ऐसे बहुत से काम है जो मैं सीख नहीं पाया और वह मेरे लिए बहुत कठिन साबित होते हैं, निम्न कामों को मैं चाहकर भी नहीं सीख पाया :-
1. खाट बुनना
2. दूध दूहना
3. खाना बनाना
4. बाइक चलाना
5. खेती करना
6. सिलाई करने का काम
इन सभी कार्य को ना सीखने की मेरी कुछ वजह भी रही है, जैसे :-
1. मुझे इन कामों में मन नहीं लगता था।
2. मैंने माता-पिता की बात नहीं मानी।
3. मुझे यह काम करने में अच्छा नहीं लगता।
मैं इन सभी कार्यों में से कुछ कार्य अभी भी सीखना चाहता हूॅं, जैसे कि :-
1. घर का खाना बनाना
2. खेती करना
3. बाइक चलाना
प्रश्न 5. इस अनुमानित बजट को गहराई से पढ़ने के बाद आश्रम के उद्देश्यों और कार्यप्रणाली के बारे में क्या-क्या अनुमान लगाए जा सकते हैं?
उत्तर – अनुमानित बजट को गहराई से पढ़ने के बाद हम आश्रम के उद्देश्य को अच्छे से समझ सकते हैं। आश्रम के उद्देश्य कुछ ऐसे हैं कि गरीबों व अनाथ लोगों की सहायता करना, जरूरतमंदों को सहायता प्रदान करना, गरीबों के लिए रोजगार बढ़ाएगा, अतिथि सत्कार करना सिखाएगा, लोगों को कारीगीरी सिखाएगा और अंततः आश्रम का एक मुख्य काम है कि वह सभी को आत्मनिर्भरता कि ओर कदम बढ़ाना सिखाएगा।
भाषा की बात—
प्रश्न 1. अनुमानित शब्द अनुमान में इत प्रत्यय जोड़कर बना है। इत प्रत्यय जोड़ने पर अनुमान का न नित में परिवर्तित हो जाता है। नीचे– इत प्रत्यय वाले कुछ और शब्द लिखे हैं। उनमें मूल शब्द पहचानिए और देखिए कि क्या परिवर्तन हो रहा है–
प्रमाणित व्यथित द्रवित मुखरित झंकृत शिक्षित मोहित चर्चित |
उत्तर –
शब्द | मूल शब्द | प्रत्यय |
प्रमाणित | प्रमाण | इत |
व्यथित | व्यथा | इत |
द्रवित | द्रव | इत |
मुखरित | मुखर | इत |
झंकृत | झंकार | इत |
शिक्षित | शिक्षा | इत |
मोहित | मोह | इत |
चर्चित | चर्चा | इत |
इत प्रत्यय की भाँति इक प्रत्यय से भी शब्द बनते हैं और तब शब्द के पहले अक्षर में भी परिवर्तन हो जाता है, जैसे– सप्ताह + इक = साप्ताहिक। नीचे इक प्रत्यय से बनाए गए शब्द दिए गए हैं। इनमें मूल शब्द पहचानिए और देखिए कि क्या परिवर्तन हो रहा है–
मौखिक संवैधानिक प्राथमिक नैतिक पौराणिक दैनिक |
उत्तर –
शब्द | मूल शब्द | प्रत्यय |
मौखिक | मुख | इक |
संवैधानिक | संविधान | इक |
प्राथमिक | प्रथम | इक |
नैतिक | नीति | इक |
पौराणिक | पुराण | इक |
दैनिक | दिन | इक |
प्रश्न 2. बैलगाड़ी और घोड़ागाड़ी शब्द दो शब्दों को जोड़ने से बने हैं। इसमें दूसरा शब्द प्रधान है, यानी शब्द का प्रमुख अर्थ दूसरे शब्द पर टिका है। ऐसे समास को तत्पुरुष समास कहते हैं। ऐसे छह शब्द और सोचकर लिखिए और समझिए कि उनमें दूसरा शब्द प्रमुख क्यों है?
उत्तर –
मालगाड़ी | माल के लिए गाड़ी। |
युद्धभूमि | युद्ध के लिए भूमि। |
कर्मस्थली | कर्म के लिए स्थली। |
क्रीड़स्थल | क्रीड़ा के लिए स्थल। |
पुरुषोत्तम | पुरुष के लिए उत्तम। |
रसोईघर | रसोई के लिए घर। |