NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 7 Apoorv Anubhav Questions and Answers
अभ्यास
पाठ से—
प्रश्न 1. यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ाने के लिए तोत्तो-चान ने अथक प्रयास क्यों किया? लिखिए।
उत्तर – यासूकी-चान एक पोलियो ग्रस्त व्यक्ति था। वह न तो किसी पेड़ पर चढ़ सकता था और ना ही किसी पेड़ को अपनी संपत्ति मानता था। तोत्तो-चान को लगा कि यासू़की-चान को भी पेड़ पर चढ़ना है, इसलिए तोत्तो-चान ने यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने के कई अथक प्रयास किए।
प्रश्न 2. दृढ़ निश्चय और अथक परिश्रम से सफलता पाने के बाद तोत्तो-चान और
यासू़की-चान को अपूर्व अनुभव मिला, इन दोनों के अपूर्व अनुभव कुछ अलग-अलग थे। दोनों में क्या अंतर रहे? लिखिए।
उत्तर – तोत्ता-चान ने यासू़की-चान को अपने पेड़ पर चढ़ाने के लिए बहुत परिश्रम की व अलग-अलग परेशानियों का सामना भी करा और जब वह पेड़ पर चढ़ने में सफल हुई, तब दोनों बहुत खुश हो गए। तोत्ता-चान इसलिए खुश थी क्योंकि उसने अपने कहे हुए वादे को पूरा करते हुए यासूकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ाया। यासू़की-चान इसलिए खुश था, क्योंकि उसने पेड़ पर चढ़कर वहाॅं से उसने बहुत खूबसूरत दुनिया के नजारे निहारे। दोनों के लिए यह अपूर्व अनुभव था। दोनों ही इस पल का आनंद ले रहे थे और खुश थे।
प्रश्न 3. पाठ में खोजकर देखिए–कब सूरज का ताप यासू़की-चान और तोत्ता-चान पर पढ़ रहा था, वे दोनों पसीने से तरबतर हो रहे थे और कब बादल का एक टुकड़ा उन्हें छाया देकर कड़कती धूप से बचाने लगा था। आपके अनुसार इस प्रकार परिस्थिति के बदलने का कारण क्या हो सकता है?
उत्तर – जब पहली बार सीढ़ी से यासू़की-चान को पेड़ पर चढ़ाने का प्रयास असफल हुआ तब दूसरी बार तोत्ता-चान तिपाई-सीढी खींच कर लाती है और उसी तिपाई-सीढी से तोत्ता-चान यासू़की-चान को पेड़ पर चढ़ाने का प्रयास करने लगती है। दोनों के कड़ी मेहनत के कारण वह पसीने से तरबतर हो जाते हैं। खूब मेहनत के बाद जब वह दोनों पेड़ की व्दिशाखा पर पहुॅंचते जाते हैं। फिर जब तोत्ता-चान यासू़की-चान को पेड़ की टहनी पर खींच रही होती है, तब एक बादल का टुकड़ा सूरज की रोशनी के बीच में आकर उन्हें छाया देता है। बादल का टुकड़ा दोनों के परिश्रम व उनके प्रयास को देखकर पिघल गया। अतः वह उन दोनों को सूरज की कड़कड़ाती धूप से बचाने के लिए वह उन्हें छाया प्रदान करने लग गया।
प्रश्न 4. ‘यासू़की-चान के लिए पेड़ पर चढ़ने का यह…………………अंतिम मौका था।’–इस अधूरे वाक्य को पूरा कीजिए और लिखकर बताइए कि लेखिका ने ऐसा क्यों लिखा होगा?
उत्तर – यासू़की-चान एक पोलियो ग्रस्त व्यक्ति था। वह बहुत ही कमज़ोर था। वह अपने आप किसी भी पेड़ पर नहीं चढ़ सकता था। उसके लिए एक पेड़ पर चढ़ना भी असंभव जैसा था। पर उसे इतना अच्छा तोत्ता-चान जैसा दोस्त मिला जिसने उसके लिए अपने माता-पिता से झूठ बोलकर भी उसकी यह इच्छा पूरी करने में मदद की। यासू़की-चान तोत्ता-चान की हिम्मत व परिश्रम की वजह से ही वह चोरी-छुपे पेड़ पर चढ़ सका। यदि किसी को इसके बारे में पता चल जाता या उन्हें कोई पेड़ पर चढ़ते हुए देख लेता तो उन्हें डांट खानी पड़ती इसलिए लेखिका ने इस प्रयास को अंतिम मौका कहा था।
पाठ से आगे—
प्रश्न 1. तोत्तो-चान ने अपनी योजना को बड़ों से इसलिए छिपा लिया कि उसमें जोयासुकी-चान के गिर जाने की संभावना थी। फिर भी उसके मन में यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने की दृढ़ इच्छा थी। ऐसी दृढ़ इच्छएं बुद्धि और कठोर परिश्रम से अवश्य पूरी हो जाती हैं। आप किस तरह की सफलता के लिए तीव्र इच्छा और बुद्धि का उपयोग कर कठोर परिश्रम करना चाहते हैं?
उत्तर – हमें अपनी जिंदगी में लक्ष्य प्राप्त करने के लिए दृढ़ शक्ति, इच्छा, साहस व कड़ा-परिश्रम तथा धैर्य की आवश्यकता होती है। अगर कोई छात्र अपने लक्ष्य के लिए धैर्य और विश्वास के साथ कड़ी-परिश्रम करेगा तो उसे सफलता जरूर प्राप्त होगी।
प्रश्न 2. हम अक्सर बहादुरी के बड़े-बड़े कारनामों के बारे में सुनते रहते हैं, लेकिन ‘अपूर्व अनुभव’, कहानी एक मामूली बहादुरी और जोखिम की ओर हमारा ध्यान खींचती है। यदि आपको अपने आसपास के संसार में कोई रोमांचकारी अनुभव प्राप्त करना हो तो कैसे प्राप्त करेंगे।
उत्तर – जिंदगी में कोई भी किए जाने वाला काम छोटा या बड़ा नहीं होता। हर किसी काम में एक रोमांच भरा होता है, बस हमें उस काम में घुसकर उस काम का रोमांच ढूंढना होता है।
अनुमान और कल्पना—
प्रश्न 1. अपनी माॅं से झूठ बोलते समय तोत्तो-चान की नज़रें नीचे क्यों थी?
उत्तर – तोत्तो-चान को यह डर सता रहा था कि अगर उसकी माॅं ने उसे झूठ बोलते हुए पकड़ लिया तो वह यासुकी-चान की इच्छा पूरी नहीं कर पाएगी। उसे पता था कि वह एक जोखिम भरा काम करने जा रही है। इसी कारण तोत्तो-चान की नजरें माॅं से झूठ बोलते समय नीचे थी।
प्रश्न 2. यासुकी-चान जैसे शारीरिक चुनौतियों से गुजरनेवाले व्यक्तियों के लिए चढ़ने-उतरने की सुविधाएं हर जगह नहीं होतीं। लेकिन कुछ जगहों पर ऐसी सुविधाएं दिखाई देती हैं। उन सुविधावाली जगहों की सूची बनाइए।
उत्तर – शारीरिक चुनौतियों से गुजरने वाले व्यक्तियों के लिए चढ़ने उतरने की सुविधाएं अस्पताल में, विद्यालयों महाविद्यालयों में, होटलों में, मंदिरों में, धर्मशालाओं में, व रेल स्टेशन आदि इत्यादि जगहों पर दिखाई देने को मिलता है।
भाषा की बात—
प्रश्न 1. व्दिशाखा शब्द व्दि और शाखा के योग से बना है। व्दि का अर्थ है– दो और शाखा का अर्थ है–डाल। व्दिशाखा पेड़ के तने का वह भाग है जहाॅं से दो दो मोटी-मोटी डालियाॅं एक साथ निकलती हैं। व्दि की भाॅंति आप त्रि से बनने वाला शब्द त्रिकोण जानते होंगे। त्रि का अर्थ है तीन। इस प्रकार चार, पाॅंच, छह, सात, आठ, नौ और दस संख्यावाची संस्कृत शब्द उपयोग के अकसर आते हैं। शब्दों की ध्वनियाॅं अंग्रेज़ी संख्या में नामों से कुछ-कुछ मिलती-जुलती हैं, जैसे– हिंदी-आठ, संस्कृत-अष्ट, अंग्रेजी-एट।
उत्तर –
चार | चौराहा, चौमासा, चतुर्भुज, चौकन्ना । |
पाॅंच | पंचांग, पंचायत, पंचनामा, पंचतंत्र । |
छह | षट्कोण, षड्ऋतु, छमाही । |
सात | सत्वार, सतरंगी, सप्तऋषि, सतनाजा । |
आठ | अष्टबाहु, अष्टकोण, अष्टभुज, अष्टक । |
नौ | नवरात्र, नवरत्न, नवरंग, नवधा । |
दस | दशानन, दसवीं, दशावतार, दस दिशाएं । |
प्रश्न 2. पाठ में ‘ठिठियाकर हॅंसने लगी।’, ‘पीछे से धकियाने लगी’ जैसे वाक्य आए हैं। ठिठियाकर हॅंसने या ठठा मारकर हॅंसना ठठा मारकर हॅंसना बोलचाल में प्रयोग होता है। इनमें हॅंसने की ध्वनि के एक खास अंदाज की हॅंसी का विश्लेषण बना दिया गया है। इस प्रत्यय में फ़िल्माना शब्द भी बन जाता है। ‘आना’ प्रत्यय से बननेवाले चार सार्थक शब्द लिखिए।
उत्तर – अपनाना, मनमाना, सिखाना, जमाना, धमकाना, गिराना, उठाना आदि।