NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 5 Papa kho Gaye Questions and Answers
अभ्यास
नाटक से—
प्रश्न 1. नाटक में आप को सबसे बुद्धिमान पात्र कौन लगा और क्यों?
उत्तर – नाटक में सबसे बुद्धिमान पात्र कौआ लगता है। क्योंकि वह हर जगह उड़-उड़ कर सारी जानकारी प्राप्त करता और फिर अपनी चालाकी से योजना बनाकर वह सभी को बताता था। उसी की सूझ-बूझ और योजना के कारण बच्ची उन दुष्ट व्यक्ति के हाथों में जाने से बच पाई।
प्रश्न 2. पेड़ और खंभे में दोस्ती कैसे हुई?
उत्तर – जब पेड़ के बगल में खंभे को लगाया गया तो पेड़ ने खंभे से दोस्ती करने की सोची पर खंभे में बहुत अकड़ थी। वह खंभा पेड़ से बात नहीं करना चाहता था तो पेड़ ने भी सोच लिया कि वह भी खंभे से बात नहीं करेगा। परंतु जब एक बार जोरो की आंधी-पानी के कारण खंभा पेड़ के ऊपर गिर पड़ा पर पेड़ ने उसे अपने ऊपर संभाल रखा था । पर पेड़ जख्मी हो गया था। उस समय खंभे का गुरु टूट गया और तब से वह एक दूसरे के दोस्त बन गए।
प्रश्न 3. लेटर बॉक्स को सभी लाल ताऊ कहकर क्यों पुकारते थे?
उत्तर – उस लेटर बॉक्स को सभी लाल ताऊ कहकर इसलिए पुकारते थे क्योंकि वह ऊपर से लेकर नीचे तक पूरा पूरी तरह लाल रंग से रंगा हुआ था और वह हमेशा बड़े बूढ़ों की तरह बातें किया करता था।
प्रश्न 4. लाल ताऊ किस प्रकार बाकी पात्रों से भिन्न है?
उत्तर – लाल ताऊ, वह एक पढ़ा-लिखा बुद्धिमान है। वह हमेशा सबके बारे में अच्छा सोचता और वह अच्छे स्वभाव वाला है। उसकी आदत थी कि वह दूसरों की सहायता हमेशा करता था। जब भी वह अकेला होता अपने में ही गुनगुनाने लगता तथा वह नाटक का प्रमुख है, इसी कारण वह बाकी पात्रों से भिन्न है।
प्रश्न 5. नाटक में बच्ची को बचाने वाले पात्रों में एक ही सजीव पात्र है। उसकी कौन-कौन सी बातें आपको मजेदार लगी लिखिए।
उत्तर – नाटक में बच्ची को उन दुष्ट आदमियों से बचाने वाले पात्रों में से कौआ सबसे सजीव पात्र है। वह समाज के अच्छे बुरे लोगों व उनकी बातों के बारे में जानता था। वह बहुत चालाक और बहादुर था। उसी के कारण से वह लड़की दुष्ट व्यक्ति के चुंगल से छूट पाती है और कौआ ही लेटरबॉक्स को बड़े-बड़े अक्षरों में ‘पापा खो गए’ लिखने की सलाह देता है।
प्रश्न 6. क्या वजह थी सभी पात्र मिलकर भी लड़की को उसके घर नहीं पहुॅंचा पा रहे थे?
उत्तर – सभी पात्र मिलकर भी उस लड़की को उसके घर नहीं पहुॅंचा पा रहे थे इसका यह कारण था कि उस लड़की को अपने घर का पता याद नहीं था और ना ही तो उसे अपने पिता व अपने गली का नाम याद था।
नाटक से आगे—
प्रश्न 1. अपने-अपने घर का पता लिखिए तथा चित्र बनाकर वहाॅं पहुॅंचने का रास्ता भी बताइए।
उत्तर – इस प्रश्न का उत्तर आप अपने अध्यापिका के निर्देशानुसार अपनी कॉपी में करें।
प्रश्न 2. मराठी से अनूदित इस नाटक का शीर्षक ‘पापा खो गए’ क्यों रखा होगा? अगर आपके मन में कोई दूसरा शीर्षक हो तो सुझाइए और साथ में कारण भी बताइए।
उत्तर – इस नाटक का शीर्षक ‘पापा खो गए’ इसलिए रखा क्योंकि उस छोटी सी लड़की को अपने पिता का नाम व अपने घर का पता याद नहीं था। इस नाटक का शीर्षक ‘मासूम लड़की’ या ‘भोली लड़की’ भी रखा जा सकता है। क्योंकि लड़की अपने भोलेपन और मासुमियत के कारण ही गुम हो गई थी।
प्रश्न 3. क्या आप बच्ची के पापा को खोजने का नाटक से अलग कोई और तरीका बता सकते हैं?
उत्तर – बच्ची के पापा को खोजने का नाटक से अलग तरीका यह हो सकता है कि, उस बच्ची को पुलिस थाने ले जाना चाहिए और उसकी गुमशुदा रिपोर्ट लिखा देनी चाहिए। इसके बाद पुलिस वाले उस लड़की का नाम, उम्र तथा हुलिया आदि समाचार पत्रों में, दूरदर्शन पर दिखाना चाहिए। रेडियो के माध्यम से और पोस्टर चिपकाकर लड़की के पापा को खोज सकते हैं।
अनुमान और कल्पना—
प्रश्न 1. अनुमान लगाइए कि जिस समय बच्ची की चोर ने उठाया होगा वह किस स्थिति में होगी? क्या वह पार्क / मैदान में खेल रही होगी या घर से रुठकर भाग गई होगी या कोई अन्य कारण होगा?
उत्तर – जिस समय बच्ची को चोर ने उठाया था, उस समय लड़की सो रही थी इसलिए कोई चीखने या चिल्लाने की आवाज नहीं हो पाई और थोड़े समय बाद चोर ने उसे थोड़ी बेहोशी की दवाई दे दी थी। अगर चोर उस लड़की को पार्क या किसी मैदान से उठाते तो लड़की चिल्ला-चिल्ला कर सभी से मदद मांगती और वह चोर पकड़ा जाते।
प्रश्न 2. नाटक में दिखाई गई घटना को ध्यान में रखते हुए यह भी बताइए कि अपनी सुरक्षा के लिए आजकल बच्चे क्या-क्या कर सकते हैं। संकेत के रूप में नीचे कुछ उपाय कुछ सुझाव दिए गए हैं। आप इससे अलग कुछ और उपाय लिखिए।
- समूह में चलना।
- एकजुट होकर बच्चा उठानेवालों या ऐसी घटनाओं का विरोध करना।
- अनजान व्यक्तियों से सावधानीपूर्वक मिलना।
उत्तर –
क) बच्चे हमेशा अपने घर या अपने परिवार के सदस्य का नाम याद रखें या वह किसी कागज में उनका नाम लिखकर अपनी जेब में रख ले।
ख) बच्चों को अकेले कहीं भी नहीं भेजना चाहिए या ना ही उन्हें जाना चाहिए।
ग) किसी भी अनजान व्यक्ति से किसी भी तरह का समान या खाने की चीज ना ले।
भाषा की बात—
प्रश्न 1. आपने देखा होगा कि नाटक के बीच-बीच में कुछ निर्देश दिए गए हैं। ऐसे निर्देशों से नाटक के दृश्य स्पष्ट होते हैं, जिन्हें नाटक खेलते हुए मंच पर दिखाया जाता है, जैसे– ‘सड़क / रात का समय…. दूर कहीं कुत्तों के भौंकने की आवाज़।’ यदि आपको रात का दृश्य मंच पर दिखाना हो तो क्या-क्या करेंगे, सोचकर लिखिए।
उत्तर – यदि हमें रात का दृश्य मंच पर दिखाना हो तो हम यह बता सकते हैं :-
अंधेरी रात में सुनसान सड़क पर बिजली के खंभों की लाइट जल रही हो, हवा की आवाज़ सुनाई दे रही हो, आसमान में तारे जगमगाते हुए दिखाई दे रहे हो और रास्ता बिल्कुल सुनसान हो। आसपास के कुत्ते के भौंकने के अलावा किसी की भी आवाज सुनाई नहीं दे रही हो ।
प्रश्न 2. पाठ को पढ़ते हुए आपका ध्यान कोई तरह के विराम चिह्नों की ओर गया होगा। अगले पृष्ठ पर दिए गए अंश से विराम चिह्नों को हटा दिया जाए गया है। ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा उपयुक्त चीह्न लगाइए–
मुझ पर भी एक रात आसमान से गड़गड़ाती बिजली आकर पड़ी थी अरे बाप रे वो बिजली थी या आफ़त याद आते ही अब भी दिल धक-धक करने लगता है और बिजली जहॉं गिरी थी वहॉं खड्डा कितना गहरा पड़ गया था खंभे महाराज अब जब कभी बारिश होती है तो मुझे उस रात की याद हो आती है, अंग थरथर काॅंपने लगते हैं |
उत्तर – मुझ पर भी एक रात आसमान से गड़गड़ाती बिजली आकर पड़ी थी। अरे बाप रे! वो बिजली थी या आफ़त! याद आते ही अब भी दिल धक-धक करने लगता है और बिजली जहॉं गिरी थी, वहॉं खड्डा कितना गहरा पड़ गया था, खंभे महाराज! अब जब कभी बारिश होती है तो मुझे उस रात की याद हो आती है। अंग थर-थर काॅंपने लगते हैं।
प्रश्न 3. आसपास की निर्जीव चीजों को ध्यान में रखकर कुछ संवाद लिखिए, जैसे–
- चाॅक का ब्लैक बोर्ड से संवाद
- कलम का कॉपी से संवाद
- खिड़की का दरवाजे़ से संवाद
उत्तर –
• चाॅक का ब्लैक बोर्ड से संवाद
चाॅक | तुम्हारा कैसा हाल-चाल है? ब्लैक बोर्ड भाई! |
ब्लैक बोर्ड | मैं बिल्कुल ठीक-ठीक हूॅं। तुम कैसी हो? |
चॉक | मैं भी बिल्कुल ठीक हूॅं। पर मुझे तुमसे कुछ पूछना था। |
ब्लैक बोर्ड | हाॅं हाॅं पूछो तुम्हें क्या पूछना है? |
चॉक | जब मैं तुम पर कुछ लिखती हूॅं तो तुम्हें कैसा लगता है। |
ब्लैक बोर्ड | मुझे अपना जीवन सार्थक लगता है। बच्चे मेरे ऊपर लिखे शब्दों को पढ़े तो बहुत अच्छा लगता है। |
चॉक | तुम बहुत सहनशील हो भाई। |
ब्लैक बोर्ड | हम सभी को सहनशील और विनम्र होना चाहिए। |
• कलम का कॉपी से संवाद
कलम | कॉपी! तुम कैसी हो? तुम्हें मुझसे कोई शिकायत तो नहीं है़ं? |
काॅपी | नहीं, मैं अंदर ही अंदर तुम्हारी तीखीं चोंच की दर्द सहती रहती हूॅं। |
कलम | तुम अपनी पीड़ा क्यों नहीं बताती हो? |
काॅपी | मुझे यह पीड़ा सुखदायक लगती है क्योंकि इसमें बच्चों का भला होता है। |
कलम | तुम्हारे महान् विचारों से मैं बहुत प्रभावित हूॅं। |
• खिड़की का दरवाजे़ से संवाद
खिड़की | दरवाजे भाई! तुम ना होते तो लोग अंदर कैसे आते? |
दरवाजा | कोई और रास्ता खोज लेते। वैसे तुम भी तो कमरे की शोभा बढ़ाती हो। |
खिड़की | भला! वह कैसे? |
दरवाजा | कमरे में रोशनी करके। |
खिड़की | तुम महान् हो। तुम मुझे बहुत इज्जत देते हो। |
दरवाजा | मैं तुम्हारे बिना अधूरा हूॅं। |
प्रश्न 4. उपर्युक्त में से दस-पंद्रह संवादों को चुनें, उनके साथ दृश्यों की कल्पना करें और एक छोटा सा नाटक लिखने का प्रयास करें। इस काम में अपने शिक्षा से सहयोग लें।
उत्तर –
( रात के समय समुंद्र के बगल में सुनसान सड़क पर खंभे और पेड़ के बीच संवाद )
खंभा | राम-राम पेड़ साहब! |
पेड़ | राम-राम और बताओ कैसे बीत रही है रातें। |
खंभा | आजकल की रातें कैसी हैं! जल्दी बीतने का नाम ही नहीं लेती। |
पेड़ | हाॅं! दिन को कैसे ना कैसे हड़बड़ी में भी जाता है, पर रात को बड़ी बोरियत होती है। |
खंभा | तब पर भी बरसात की रातों से यह रातें कहीं अच्छी है, पेड़राजा! |
पेड़ | बरसात की रातों में जो बिजलियां कड़कती थी, अंग थरथराने लगते थे। |
खंभा | बरसात की रातों में तो रात भर भीगते रहो, वह भी बोरियत के साथ। |
पेड़ | साथ में यह भी डर रहता कि कहीं बिजली हमारे ऊपर ना गिर जाए। |
खंभा | वह यादें भी क्या यादें थी, चलो पेड़राजा अब मैं सोने जा रहा हूॅं। |
पेड़ | हाॅं! मैं भी धोड़ी नींद ले लेता हूॅं। फिर उठकर तो काम ही करना है। |