NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 3 बस की यात्रा प्रश्न और उत्तर

Bus ki yatra Questions and Answers Hindi Class 8

प्रश्न- अभ्यास 

प्र०१.मैंने उस कंपनी के रिश्तेदार की तरह पहली बार श्रद्धा भाव से  देखा।” लेखक के मन में हिस्सेदार साहब के लिए श्रद्धा  क्यों जग गई?

उत्तर:-लेखक के मन में हिस्सेदार साहब के लिए श्रद्धा इसलिए जग गई क्योंकि मैं जानता था। कि बस के टायर की हालत खराब है और वह पुली पर पंचर हो गया था।

०लेखक के मन में हिस्सेदार साहब के लिए श्राद्ध इसलिए जग गए क्योंकि उस बस की टायरों का हालत फर्नीचर हो रखा था। फिर भी हिस्सेदार साहब अपनी जान हथेली पर रखकर। उस बस में सफर कर रहे थे?

प्र०२. “लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस से सफर नहीं करते।” लोगों ने यह सलाह क्यों दी?

उत्तर:- लोगों ने सलाह उसको और उसके मित्रों को दी इसलिए ।क्योंकि उस बस की हालत बहुत ही  खराब थी ।और वह बीच में कहीं भी कभी भी धोखा दे सकती थी और इसमें जान का भी खतरा था।

० लोगो ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस से नहीं जाते। उस बस की हालत देखकर उन्होंने ऐसा करो क्योंकि वह बीच रास्ते में धोखा दे सकती थी।

प्र०३.” ऐसा जैसे सारी बसें इंजन है और हम इंजन के भीतर बैठे हैं।” लेखक को ऐसा क्यों लगा?

उत्तर:-उन्हें ऐसा इसलिए लगा क्योंकि पूरी बस हिल रही थी इंजन स्टार्ट होते ही हुए चिल्लाया। इसलिए उन्हें ऐसा लगा की सारी वैसे इंजन है। और हम इंजन के भीतर बैठे हैं।

० लेखक को ऐसा इसलिए लगा क्योंकि अचानक से इंजन स्टार्ट हो गई।

प्र०४. “गजब हो गया। बस अपने आप चलती है।” लेखक को यह सुनकर हैरानी क्यों हुई?

उत्तर:-लेखक ने जब हिस्सेदार साहब  की बात सुनी तो उसे बहुत हैरानी हुई। क्योंकि वह बस कई साल पुरानी थी।

० लेखक को यह सुनकर हैरानी इसलिए हुई। क्योंकि वह बस की हालत बहुत ही खराब थी  हिस्सेदार साहब ने उसे यह भी कहा था कि यह बस अपने आप चलती है यह सब सुनकर उसे और भी हैरानी हुई।

प्र०५.” मैं हर पेड़ को अपना दुश्मन समझ रहा था।” लेखक पेड़ों को दुश्मन क्यों समझ रहा था?

उत्तर:-लेखक हर पेड़ को अपना दुश्मन इसलिए समझ रहा था। क्योंकि बस का स्टेरिंग कभी भी टूट सकता था या फिर ब्रेक फेल हो सकता था। 

० एक पेड़ निकल जाने पर वह दूसरे पेड़ से डरता कि कहीं बस पेड़ से टकराकर नीचे खाई में गिर ना जाए। यही कारण है कि लेखक हर एक पेड़ को अपना दुश्मन समझ रहा था।

(पाठ से आगे)

प्र०१. ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ किसके नेतृत्व में, किस उद्देश्य से तथा कब हुआ था? इतिहास की उपलब्ध पुस्तकों के आधार पर लिखिए

उत्तर:-‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’महात्मा गांधी के नेतृत्व में  सन् 1930 ई० मैं दांडी मार्च के साथ आरंभ हुआ। और वह नमक रोटी खाकर भी अपना गुजारा कर लेते थे। लेकिन अब तो नमक पर भी टैक्स लगा दिया गया।

प्र०२. सविनय अवज्ञा का उपयोग व्यंग्यकार लेखक ने किस रूप में किया है? लिखिए।

उत्तर:-लेखक जब जीर्ण शीर्ण बस में बैठ जाता है।स्टार्ट हो जाती है तो उसे ऐसा महसूस होता है। की बस का हर एक भाग मिल गया है।

प्र०३. आप अपनी किसी यात्रा के खट्टे -मीठे अनुभव को याद करते हुए लेख लिखिए।

उत्तर:- ‘यात्रा’ शब्द को सुनने में तो बहुत ही छोटा है लेकिन इसका अर्थ बहुत ही बड़ा सुख देता है।नए-नए जगह पर घूमना और उन जगहों का आनंद लेना बहुत ही मजेदार की बात है।यह बहुत ही खुशी की बात है कि मेरे मम्मी- पापा  मेरे हर एक इच्छा को पूर्ण करते हैं।

वैसे तो मैंने बहुत सारी यात्राएं की है, परंतु 6 महीने पहले की यात्रा को भूल पाना संभव नहीं है। हम पांच दोस्त से मिलकर इंडिया -गेट घूमने गए। हम वहां पर जाने के लिए बहुत ही उत्सुक थे। हम इंडिया – गेट घूमने के लिए बस से जा रहे थे। थोड़ी ही दूर जाने के बाद अचानक से बस रुक गई।

जब हमने खिड़की से बाहर देखा तो पता चला कि रास्ते में बहुत जाम लगी हुई है। आधे घंटे बाद जाम खत्म हुई। उस जाम को देखकर और बस रुकने के कारण मेरी एक दोस्त को उल्टी भी हो गई। उसे देख कर सबका मन घबरा गया। यह जाम हमारे घूमने के लिए बहुत ही बड़ी कारण थी। फिर हम जैसे तैसे इंडिया- गेट पहुंचे। वह जगह बहुत ही सुंदर थी। वहां पर और भी बहुत सारे लोग आए हुए थे। बच्चे झूला झूल रहे थे।

हमारा भी मन झूला झूलने को हुआ, और हमने भी झूले का आनंद लिया। लेकिन मेरी एक दोस्त जिसे उल्टी हुई थी नेहा नाम था उसका, उल्टी होने के कारण उसका मन थोड़ा सुस्त हो गया। उसे देख कर हम भी उतना मजा नहीं कर पाए। यह जाम हमें हम पांचों दोस्तों को याद रहेगा। इस यात्रा को हम कभी नहीं भूलेंगे।

(मन बहलाना)

प्र०१. अनुमान कीजिए यदि बस जीवित प्राणी होती, बोल सकती तो वह अपनी बुरी हालत और भारी बोझ के कष्ट को किन शब्दों में व्यक्त करती लिखिए।

उत्तर:-बस एक निर्जीव वस्तु और यातायात का साधन है। लेकिन अगर जो बस जीवित प्राणी होती तो अपनी बुरी  हालत की मरम्मत करती वह कहती देखो मेरे टायर की हालत जिसके सहारे में हर जगह चलती हूं एकदम बेकार हो गए हैं। कभी-कभी तो मेरी आंखें मुझे धोखा दे जाती है मेरी दशा अत्यंत दयनीय विचार नी हो गई। अब ना ही मुझसे तेज चला जाता है और ना ही अधिक वजन उठाया जाता है।

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